सूर्य जब एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करता है तो उसे संक्रांति कहते हैं। जब सूर्य का यही राशि परिवर्तन धनु से मकर राशि में होता है तो उसे मकर संक्रांति कहते हैं। इस दिन सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण होता है। सनातन धर्म में मकर संक्रांति के दिन का अपना विशेष महत्व है। इस दिन के शुभ मुहूर्त में पवित्र नदी तीर्थों में स्नान करना बहुत लाभकारी माना जाता है।
मकर संक्रांति 2025 तिथि
खरमास 16 दिसंबर से शुरू हो चुका है, जो 14 जनवरी तक रहेगा। महावीर पंचांग के अनुसार 14 जनवरी 2025 मंगलवार को दोपहर 02.58 बजे सूर्य मकर राशि में प्रवेश करेगा। इस कारण उस दिन शुभ मुहूर्त सुबह 08.49 बजे से शाम 07.37 बजे तक रहेगा। इस पुण्य काल में हरिद्वार, गंगासागर, प्रयाग राज में त्रिवेणी, वाराणसी, गोदावरी आदि पवित्र स्थानों पर स्नान करना चाहिए। सूर्यदेव की पूजा: स्नान के बाद सूर्यदेव को अर्घ्य देकर पूजा की जाती है। उन्हें प्रसाद के रूप में तिल और गुड़ चढ़ाया जाता है। स्नान के बाद इन चीजों का करें दान धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन गंगा या किसी पवित्र नदी में स्नान कर गुड़ का दान करने से सभी तरह के पापों से मुक्ति मिलती है। खिचड़ी, तिल, कंबल, उपनाह दान करने से असंख्य गुना दान का फल मिलता है। साथ ही अनंत पुण्य का लाभ भी मिलता है। यही वजह है कि इस दिन काशी, प्रयागराज, हरिद्वार समेत अन्य तीर्थ स्थानों पर श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रहती है। खिचड़ी भोग: उत्तर भारत में खिचड़ी बनाकर प्रसाद के रूप में बांटने की परंपरा है। जीवन से दूर होंगी परेशानियां दान करना बहुत शुभ माना जाता है। लेकिन कहा जाता है कि मकर संक्रांति के दिन दान करने से दोगुना फल मिलता है। इस दिन सभी को सुबह स्नान करके गरीबों को दान करना चाहिए। आप जो भी मन में आए दान कर सकते हैं।
मकर संक्रांति का महत्व
धार्मिक महत्व: हिंदू धर्म में सूर्य देव को बहुत महत्व दिया जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन सूर्य देव अपने पुत्र शनिदेव से मिलने जाते हैं।
खगोलीय महत्व: खगोल विज्ञान के अनुसार, इस दिन सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण होता है, जिसका अर्थ है कि दिन बड़े होने लगते हैं।
कृषि महत्व: यह दिन किसानों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि इस दिन से फसलें पकने लगती हैं।
विभिन्न राज्यों में मकर संक्रांति
मकर संक्रांति को भारत के विभिन्न राज्यों में अलग-अलग नामों से जाना जाता है और इसे अलग-अलग तरीकों से मनाया जाता है।
पंजाब: मकर संक्रांति को मागी या लोहड़ी के नाम से जाना जाता है।
तमिलनाडु: पोंगल
आंध्र प्रदेश: मकर संक्रांति
कर्नाटक: संक्रांति
गुजरात: उत्तरायण
मकर संक्रांति भारत का एक महत्वपूर्ण त्यौहार है जो धार्मिक, सांस्कृतिक और कृषि संबंधी महत्व रखता है। इस त्यौहार को मनाने के पीछे कई कारण हैं। आइये हम सब मिलकर पर्यावरण के प्रति जागरूक होकर इस त्यौहार को मनाएँ।
मकर संक्रांति के दिन पतंगबाजी के दौरान प्लास्टिक की डोरी का इस्तेमाल पर्यावरण के लिए हानिकारक है। इसलिए हमें पर्यावरण के प्रति जागरूक होकर इस त्यौहार को मनाना चाहिए।
मकर संक्रांति भारत की सांस्कृतिक विरासत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह त्यौहार लोगों को एक साथ लाता है और सामाजिक बंधन को मजबूत करता है।