अमावस्या तर्पण
अमावस्या तिथि पितरों को समर्पित है, इसलिए इस दिन पितरों के निमित्त तर्पण करने का विधान है। अमावस्या के दिन पितरों को जल, तिल, जौ, कुशा और फूल आदि अर्पित पितरो को करवाए जायेंगे ।
तर्पण की विधि:
सर्वप्रथम स्नान आदि करके पवित्र हो जाएं।
फिर अपने पितरों का ध्यान करें।
एक तांबे के बर्तन में जल, तिल, जौ, दूर्वा, और सफेद फूल लें।
उस जल को अपने दाएं हाथ के अंगूठे और तर्जनी उंगली से पितरों का आह्वान करते हुए धीरे-धीरे धरती पर छोड़ें।
तर्पण करते समय अपना मुख दक्षिण दिशा में रखें।
तर्पण के समय पंडित जी आपके पूर्वजो को मंत्र पढ़ते तिल युक्त जल दिलवाएंगे |
विशेष:
अमावस्या के दिन पितरों के निमित्त पिंडदान भी किया जाता है।
यदि आप गया जाकर तर्पण नहीं कर सकते हैं, तो आप घर पर ही किसी पवित्र नदी या जलाशय के किनारे तर्पण कर सकते हैं।
यदि आपके पास नदी या जलाशय नहीं है, तो आप घर पर ही किसी शांत स्थान पर तर्पण कर सकते हैं।
तर्पण के लाभ:
पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है।
पारिवारिक क्लेश दूर होते हैं।
पितृ दोष से मुक्ति मिलती है।
कुछ अन्य महत्वपूर्ण बातें:
अमावस्या के दिन पितरों के निमित्त दान भी करना चाहिए।
इस दिन ब्राह्मणों को भोजन कराना चाहिए।
इस दिन किसी भी प्रकार के तामसिक भोजन का सेवन नहीं करना चाहिए।
यह भी ध्यान रखें कि तर्पण करते समय मन में पूर्ण श्रद्धा और विश्वास होना चाहिए।