चन्द्र मन का कारक देवता है (चन्द्रमा मनसो जात:)
पृथ्वी के सबसे नजदीक भ्रमणशील होने के कारण शास्त्रों में चन्द्रमा को मन (अन्तःकरण) का प्रतीक कहा गया है। चंद्रमा बचपन, सुख, प्रजनन क्षमता के लिए जिम्मेदार है। निर्णय लेने के कौशल में सुधार करता है।
जब चंद्र कुण्डली में अशुभ/गलत होता है या चौथे, छठे, आठवें या बारहवें भाव में स्थित होता है, तो यह स्मृति हानि, आत्मविश्वास में कमी, मासिक धर्म की परेशानी, सांस लेने में समस्या और प्रजनन संबंधी समस्याओं जैसी बाधाओं का कारण बनता है।
अशुभ चन्द्रमा से नुकसान
चन्द्रमा शत्रु एवं क्रूर ग्रह से दृष्ट, युत एवं नीच राशि (वृश्चिक राशि ), अथवा ४, ६, ८, १२वें पर भावों में स्थित चन्द्रमा अशुभ माना जाता है। मानसिक तनाव, अवसाद से बचने के लिए और चन्द्र दशा द्वारा अशुभ प्रभावों से मुक्ति पाने के लिए सोमवार या आपके जन्म नक्षत्र के अनुकूल किसी भी शुभ तिथि को उपाय किया जाता है। चन्द्र अशुभ होने से जातक अति चंचल, उतावलापन, उद्विग्न, स्वार्थी, विलासी, अस्थिर एवं अशान्त मन वाला होता है। अरिष्टकर होने से मानसिक दौर्बल्य, उन्माद, मस्तिष्क, विभ्रम, नेत्र पीड़ा, आलस्य, मानसिक पीड़ा-व्याकुलता, अस्थिर मन, शीत, कफ दोष, कण्ठ से हृदय तक के रोग एवं स्त्री जनित गर्भाशय आदि के रोग भी अशुभ चन्द्रमा के कारण होते हैं। अशुभ चन्द्र के कारण जातक का स्वभाव छिद्रा, वेषी, मिथ्याभ्रमणशील, जिद्दी, क्रोधी, दोषदर्शी, मिथ्याभाषी, अनावश्यक खर्चीला एवं परेशान व चिड़चिड़े स्वभाव का हो जाता है। गुप्त मस्तिष्क विकार आदि अशुभ फल होते हैं।
यह जप चंद्र देवता को प्रसन्न करने के लिए चंद्रमा का आह्वान और मंत्रों का जप किया जाता है।
चन्द्र मंत्र का 11000 की संख्या में निर्धारित है वैदिक और तांत्रिक मंत्रो का जप होता है
वैदिक मंत्र ज्यादा प्रभावी होते है और इनका प्रभाव ज्यादा दिन तक रहता है
तांत्रिक मंत्रो का शीघ्र ही लाभ प्राप्त होता है |
कलियुग में चार गुना जप से पूर्ण लाभ प्राप्त होता है |
चंद्र ग्रह जप कब करें
चंद्र ग्रह जप सोमवार के दिन या चन्द्र के नक्षत्रो में करना चाहिए।
किसी व्यक्ति के जन्म नक्षत्र के अनुसार जाप तिथि भी निर्धारित कर सकते हैं।
चंद्र ग्रह जाप के लाभ:
पीड़ित चंद्र ग्रह के हानिकारक प्रभाव कम हो जाते हैं और बदले में भौतिक और आध्यात्मिक विकास लाते हैं।
यह जाप नकारात्मक परिणामों को कम करता है और चंद्र ग्रह के सकारात्मक परिणामों को बढ़ाता है।
यह शांति, सद्भाव और इच्छा की पूर्ति में मदद करता है। इस ग्रह शांति जाप को करने से दुर्भाग्य, स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं, शत्रुओं और बुराई से छुटकारा मिल सकता है।
चंद्र ग्रह वैदिक मंत्र :-ॐ इमं देवा असपत्न ग्वं सुवध्वं महते क्षत्राय महते ज्यैष्ठ्याय महते जानराज्यायेन्द्रस्येन्द्रियाय ।इमममुष्य पुत्रममुष्यै पुत्रमस्यै विश एष वोऽमी राजा सोमो ऽस्माकंब्राह्मणाना ग्वं राजा ॥
तन्त्रोक्त चन्द्र मन्त्र - ॐ श्रां श्रीं श्रौं सः चन्द्रमसे नमः ।
चंद्र ग्रह जाप के लिए पुजारी जी को बुक करें। पुजारी जी सारी पूजा सामग्री लेकर आएंगे। सभी पुजारी जी अच्छे अनुभवी हैं और वैदिक पाठशाला से पढ़े हुए हैं।