गंड मूल नक्षत्र शांति पूजा उन शिशुओं के लिए जो अश्विनी, आश्लेषा, मघा, ज्येष्ठा, मूल और रेवती नक्षत्रों में जन्म लेते हैं। ये नक्षत्र गंड मूल दोष उत्पन्न कर सकते हैं, जिससे बच्चे, माता-पिता और विशेष रूप से मामा (मातृ पक्ष) को प्रभावित करने की संभावना रहती है। इस दोष को शांत करने के लिए मूल शांति पूजा की जाती है।
गंड मूल नक्षत्र शांति पूजा व्यक्ति के जीवन को प्रभावित करती है और व्यक्ति के जीवन में अशुभता लाती है। इन नक्षत्रों के अशुभ परिणामों को मूल शांति पूजा के माध्यम से शांत किया जा सकता है।
गंड मूल नक्षत्र शांति पूजा विधि
पूजा की शुरुआत गौरी-गणेश पूजन से होती है।
सभी 27 नक्षत्रों की विशेष पूजा की जाती है।
गंड मूल नक्षत्र के लिए विशेष हवन किया जाता है।
27 विभिन्न पेड़ों की पत्तियों और जल से बच्चे और माता-पिता का अभिषेक किया जाता है।
नकारात्मक प्रभावों को दूर करने के लिए ब्राह्मण भोजन व दान किया जाता है।
मघा नक्षत्र वैदिक मंत्र -
ॐ पितृभ्य: स्वधायिभ्य स्वाधानम: पितामहेभ्य: स्वधायिभ्य: स्वधानम: ।
प्रपितामहेभ्य स्वधायिभ्य स्वधानम: अक्षन्न पितरोSमीमदन्त:
पितरोतितृपन्त पितर:शुन्धव्म । ॐ पितरेभ्ये नम: ।
गंड मूल नक्षत्र शांति के लाभ
बचपन में आने वाली परेशानियां दूर होती हैं।
माता-पिता की स्वास्थ्य व धन संबंधी समस्याओं का निवारण।
करियर, विवाह और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार।
सताइसा पूजा एक पारंपरिक हिन्दू अनुष्ठान है, जिसे विशेष रूप से नवजात शिशु के जन्म के बाद किया जाता है। यह पूजा बच्चे के सत्ताईसवें दिन (27वें दिन) उसी जन्म नक्षत्र पे संपन्न की जाती है और इसका उद्देश्य शिशु के अच्छे स्वास्थ्य, लंबी उम्र और समृद्धि की प्रार्थना करना होता है।
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