त्रिपिंडी श्राद्ध का महत्त्व पितरों की आत्मा की शांति, तृप्ति और मोक्ष प्राप्ति में निहित है। यह श्राद्ध उन पूर्वजों के लिए विशेष रूप से किया जाता है जिनका विधिपूर्वक श्राद्ध या तर्पण नहीं हुआ हो या जो प्रेत योनि में भटक रहे हों।
त्रिपिंडी श्राद्ध का प्रमुख महत्त्व:
- पितरों की तृप्ति: इस श्राद्ध से पितरों की आत्मा संतुष्ट होती है और उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है।
- पितृ दोष निवारण: जिन परिवारों में पितृ दोष होता है, उनके लिए त्रिपिंडी श्राद्ध अति आवश्यक माना जाता है। इससे पितृ दोष दूर होता है।
- कुल की उन्नति: पितरों की कृपा से परिवार में सुख, शांति और समृद्धि आती है।
- अवांछित बाधाओं का नाश: यह श्राद्ध जीवन में आ रही रुकावटें, आर्थिक समस्याएँ और अन्य बाधाओं को दूर करता है।
- आत्मिक शांति: इस कर्म से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और वे अपने वंशजों को आशीर्वाद देते हैं।
त्रिपिंडी श्राद्ध के माध्यम से व्यक्ति अपने पूर्वजों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करता है और उनके आशीर्वाद से जीवन में सुख-समृद्धि प्राप्त करता है।